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Ramghat [रामघाट]
Located on the banks of the Mandakini River, devotees of Lord Ram consider this as a very holy spot and is believed to absolve one of his sins. During the exile period Rama, Lakshmana and Sita took bath here and are believed to have appeared before the poet Tulsidas.
चित्रकूट के घाट में भई संतन की भीर तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देय रघुवीर।। भगवान राम के दर्शन गोस्वामी तुलसीदास ने रामघाट पर किए थे। पतित पावनी मंदाकिनी का यह घाट आज आधुनिकता से रंगा है पूरा घाट लाल पत्थर के बने है लेकिन घाट पर प्राचीन मंदिर भी देखे जा सकते है। जिसमे प्रमुख भगवान शिव का मत्यगेंद्रनाथ मंदिर, चरखारी मंदिर, भरत मंदिर और यज्ञवेदी प्रमुख है। रामघाट में हर माह लगने वाले अमावस्या मेला में लाखों श्रद्धालु मंदाकिनी में डुबकी लगाते है ।घाट में विशालकाय पुराने मंदिर है तो नदी की शोभा को और बढ़ा देते है। शाम को होने वाली यहां की मां मंदाकिनी की आरती मन को काफी सुकून पहुंचाती है। यहीं पर लोकप्रिय स्थल राघव प्रयाग घाट व भरत घाट है। राघव प्रयाग घाट पर सरयू व पयस्वनी का संगम है। यहां पर राम ने अपने पिता दशरथ का पिंड तर्पण किया था। रामघाट पर वनवास काल में भगवान राम, लक्ष्मण और सीता ने स्नान किया था। इसलिए इसे रामघाट कहते हैं। पुनीत मंदाकिनी नदी में प्रतिदिन स्नान तपस्या से इन्द्रिय शमन और मन निग्रह से समस्त पाप क्षरित हो जाते हैं। सिद्ध महात्माओं के अवगाहन से इसका जल निर्मल होता रहता है। भगवान श्रीराम ने जगत जननी जानकी को स्नान करने की आज्ञा दी थी कि तुम भी यहाँ मेरे साथ स्नान करो। रामघाट पर विशेष अवसरों पर दीपदान किया जाता है। दीपावली के अवसर पर दीपदान का दृश्य यहाँ देखते ही बनता है। जल राशि में दीप मालिकाओं की कतारों को लहरों पर लहराते देखकर मन मुग्ध हो जाता है। यह एक ऐतिहासिक घाट है, जिससे अनेक कथाएँ एवं स्मृतियाँ जुड़ी हैं।
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